मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियाँ होंगी ज़रूर

मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियाँ होंगी ज़रूर राख के नीचे दबी चिंगारियाँ होंगी ज़रूर   आज भी आदम की बेटी हंटरों की ज़द में है हर गिलहरी के बदन पर धारियाँ होंगी ज़रूर   नाम था होठों पे सागर, पर मरुस्थल की हुई उस नदी की कुछ न कुछ लाचारियाँ होंगी ज़रूर   तेज़ मांझे … Continue reading मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियाँ होंगी ज़रूर